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शादी वर्षगाँठ मंगलकामना




*लेखनी दैनिक प्रतियोगिता स्वैच्छिक विषय पर काव्य रचनाः*
आज कार्तिक बदी ग्यारस विक्रमी सम्वत् 2079 शुक्रवार तदनुसार 21-10-2022 को पुत्रवधु बेटी श्रीमती दिव्य ज्योति बिश्नोई और सुपुत्र सक्वार्डन लीडर मिस्टर विजय कुमार बिश्नोई की शादी के पूर्ण हुए 4वर्ष, छाया है घर में हर्ष।  कल 22-10-2022 शुभ शनिवार को पाँचवें वर्ष में प्रवेश हैं। चार वर्षीय गृहस्थी पर कोटी -कोटी मंगलकामनाएं। सदगुरु देव श्री जम्भेश्वर भगवान की असीम कृपा से जोड़ी जीवन का हर दिन  शुभ, सुखी समृद्धशाली खुशहाल दीर्घायु प्रदान करने वाला होः

*शादी वर्षगाँठ मंगलकामना*  
          *आप जोड़ी से*
*नवपीढी की करते कामना*    
           
विद्या विनीत जोड़ी की
               आज 4थी वर्षगाँठ है।
थारा फूले-फले प्रभात,
               परिवार में पूरे ठाठ है।
थारी बढ़े बाल वेलड़ी,
               पढ़ना प्रेम का पाठ है। 
मन मिळै सदा महक,
             ये नियम 29 विराट है।।

बल बुद्धि विधा बढ़े,
              समृद्धशाली हो वेलड़ी।
सुंदर संगत रहे थारी,
              वृक्ष पाळौ तुम खेजड़ी।
सजै हो थारै सिणगार,         
                  सुखी जीवनी जोड़ी।
स्वस्थ रहे ये संसार, 
             सुख हो तुम्हें हर घड़ी।।

प्रेम बैल थारै पास में,
              पौधा अब थे पनपाओ।
फेलै जीवन सुख में,
              प्रेम का जाळ फैलाओ।          
वाणी मधुर शुभ रहे, 
               घर-घर भला कहाओ।
चेतन सृजन होवै,
               नौ-निहाल घर लाओ।
                   
दिव्या बेल दाता हो,
             गुणवान संतान माता है।
नाना-नानी को इंतजार,
             करै इंतजार पड़दादा है।
सुंदर चंचल सी चाल,
            इंतजार में दादी माता है।                     
स्वस्थ नित प्राणवायु,
              करै बड़ी दुवा दादा है।।
                              
गृहस्थी थारा मंदिर, 
                संतान गृहस्थ देवता।
गृहस्थ जीवन पूजा, 
               गृहस्थी में रखें ध्यान।
जीवन का है पर्याय,
              गृहस्थी का हो सम्मान।
गृहस्थ जीवन नाम,
                 यही सुख की खान।।

गृहस्थ की महिमा,
                  जीवन बहुत महान।
गृहस्थी है अनमोल,
                  जाणै सकल जहान।
यह गृहस्थी शानदार, 
                  गृहस्थी घर पहचान।
गृहस्थ जीवन सुंदर,
                  गृहस्थी में सम्मान।।

गृहस्थ जीवन प्रेम,
                   सकल सुखदाता है।
गृहस्थ में वंश बढ़ै,
               वंश बैल को बढ़ाता है।
गृहस्थी बीच भाई,
              परिवार शोभा पाता है।
गृहस्थी पावन हवै,
             खुशहाली घर लाता है।।

गृहस्थी शुभ कार्य,
                 पति गृहपति कहाता।
गृहस्थ में होते नित,
                मैया अर पापा रहता।
गृहनाव का खवैया,
                हमेशा गृहपति होता।
गृहस्थी में दूध-जल,
              हमें गृहस्थ प्रिय होता।।

गृहस्थी काशी है,
                 गृहस्थ धाम मुकाम।
गृहस्थ जम्भसरोवर,
               गृहस्थी 68तीर्थ-धाम।
गृहस्थी मोक्ष द्वार है,
              गृहस्थी में पावन काम। 
गृहस्थी काया होवै,
               गृहस्थी मान-सम्मान।।

मनाओ चौथा पूर्ण,
                कल है पाँच शुरुआत।
देखते ही देखते
               आई है चौथी वर्षगाँठ।
गृहस्थी जीवन में,
                लिये बच्चों पूर्ण ठाठ।
ला तीसरा बीच में,
                 बनाइये रूप विराट।।

तुम नित एक-दूजे, 
                    के रहियो सिरमोर।
बनी रहे विश्वास की,
                   रखें सुंदर प्रेम डोर।
एक-दूजे में जिन्दगी,
                  संभाळियौ चहुंओर।
दोनों वक्त बंदगी है,
                  विष्णु करियौ गौर।।

जीवन में नित्य ही,
                सूर्यसम उजियारा हो।
सुखी स्वस्थ समृद्ध,
                सारा जीवन थारा हो।
महकती हुई सुबह,
               हंसती शाम संवारा हो।
मधुर प्यार भरा ये, 
              स्वाभिमान तुंहारा हो।।

चाँद बन मेरे बच्चों,
               जीवन निज संवार लो।
खुशी से प्रकृति पूजें
                आनन्द की बहार लो।
सुगम तुम्हारी इच्छा,
                  मंजिलें कर पार लो।
खुशहाल गृहस्थी है,
                  आगे सही धार लो।।

अखूट पौषक नित्य,
              मेरे बच्चों की रसोई हो।
थारै लगे नहीं नज़र,
               श्रीविष्णु कृपा होई हो।
जीवन मर्यादा बनी रहे,
                रक्षित घर में जल हो।
अर्थपूर्ण युगों जीवन,
             सुरक्षित थारा कल हो।।

सर्वोपरि गृहस्थी रहे,
                  देखती ये दुनिया हो।
रहे स्वस्थ घर अंदर,
                 मुन्ना चाहे मुनिया हो।
थे स्वस्थ दीर्घायु रहो,
               आत्माराम पुनिया हो।
श्री जम्भेश्वर रक्षित,
         श्रीमती इन्दिरा पुनिया हो।।

घर माता लक्ष्मीजी,
                   नित  नित कृपा हो।
विकास बिश्नोई कहै,
                भाभी स्वयं दिव्या हो।
तुम्हीं महालक्ष्मी जी,
                 थे लक्ष्मी स्वरूपा हो।
तुम दोनों पे माँ लक्ष्मी,
              श्रीविष्णु की कृपा हो।।

पृथ्वीसिंह' करै विनती,
                 धनवंतरी स्वस्थ रखें। 
माँ दुर्गाजी दें शक्ति,
              सुखी जीवन मस्त रखें।
वायुसेना नवण प्रणाम,
              भारत माँ विश्वस्त रखें।
श्रीविष्णुजी सुंदर थारी,
               सुबह और शाम रखें।।
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*कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई* 
राष्ट्रीय प्रैस एवं मीडिया प्रभारी, 
जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर।
लेखक, पत्रकार, साहित्यकार, हॉउस नं. 313, 
सेक्टर 14 (श्री ओ३म विष्णु निवास) हिसार
(हरियाणा)-125001 भारत
फोन नंबर-9518139200,
व्हाट्सएप-9467694029


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3 Comments

Abhinav ji

21-Oct-2022 09:07 AM

Very nice👍

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सुन्दर अभिव्यक्ति

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Raziya bano

21-Oct-2022 06:05 AM

बहुत ही शानदार रचना

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